Posts

Showing posts from February 24, 2018

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

Kanunigyan :- भरण पोषण का अधिकार :

Maintenance under Criminal Procedure Code /दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत भरण-पोषण धारा 125 :- कौन भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं :- (1) पत्नी -किसी व्यक्ति की पत्नी पति से भरण पोषण प्राप्त करने की हकदार है जो स्वयं अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है ।    'पत्नी' से अभिप्राय ऐसी स्त्री से है जिसके पति ने उससे विवाह विच्छेद कर लिया है या जिसने अपने पति से विवाह विच्छेद कर लिया है और पुनर्विवाह नहीं किया है। वैध रुप से विवाहित पत्नी से है। (2) अव्यस्क धर्मज या अधर्मज पुत्र या पुत्री चाहे विवाहित हो या न हो :- अव्यस्क धर्मज या अधर्मज अवयस्क पुत्र या पुत्री चाहे विवाहित हो या न हो अपने पिता से भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं। (3) व्यस्क पुत्र या पुत्री जो विवाहित हैं और व्यस्क हैंअपने पिता से भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं यदि वे किसी असमर्थता से ग्रस्त हैं। (4) माता -पिता :- जो माता पिता भरण पोषण करने में असमर्थ हैं पुत्र से भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं। पुत्री से भी भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार हैं   यदि पुत्री के पास पर्याप्त साधन हैं।     भरण पोषण का

Popular posts from this blog

सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

क्या विदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अग्रिम जमानत ले सकता है

Kanunigyan :- भरण पोषण का अधिकार :