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Showing posts from February 18, 2018

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

Hindu Adoption /हिन्दू दत्तक ग्रहण

मान्य दत्तक ग्रहण की अपेक्षाएं :- दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 6 केअनुसार  मान्य दत्तक ग्रहण की निम्न अपेक्षाएं हैं    (1) दत्तक ग्रहीता व्यक्ति दत्तक ग्रहण करने की क्षमता रखता हो। (2) दत्तक देने वाला व्यक्ति ऐसा करने की क्षमता रखता हो। (3) दत्तक लिया जाने वाला व्यक्ति इस योग्य हो। (4) दत्तक ग्रहण की अन्य शर्त का पालन किया गया हो।     धारा 7 के अनुसार पुरूष हिन्दू की दत्तक ग्रहण की सामर्थ्य-कोई पुरुष जो हिन्दू है, स्वस्थ चित है और व्यस्क है वह दत्तक ग्रहण द्वारा पुत्र या पुत्री दत्तक ले सकेगा।       यदि वह विवाहित है तो पत्नी की सम्मति आवश्यक है। यदि एक से अधिक पत्तियां है तो सभी की सम्मति आवश्यक है जब तक कि          उसने संसार का परित्याग न किया हो, धर्म परिवर्तन न किया हो,या सक्षम न्यायालय द्वारा पागल न घोषित की गई हो।       धारा 8 हिन्दू नारी को दत्तक लेने की सामर्थ्य :- एक अविवाहित, तलाक शुदा या विधवा हिन्दू नारी पुत्र या पुत्री दत्तक ले सकेगी। किन्तु विवाहित नारी तभी दत्तक ले सकेगी यदि -      उसका पति सन्यासी हो गया हो, उसने धर्म परिवर्तन कर लिया हो या स

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