Posts

Showing posts from January 2, 2022

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

भारत में विवाह का पंजीकरण कैसे कराएं

  विवाह  प्रमाण पत्र  यदि आप विवाह प्रमाण पत्र बनवाना चाहते हैं तो उसके लिए विवाह पंजीकरण करवाना आवश्यक हैं । उसके लिए आपको अपने राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इससे समय और धन दोनों की बचत होगी तथा भाग दौड़ से भी बचा जा सकता है। इसके लिए आप ऑफलाइन आवेदन कर सकते  हैं। विवाह पंजीकरण कराने के लिए आपको एक निर्धारित शुल्क  भी अदा करना होगा। यदि आप समय से विवाह पंजीकरण नहीं करवाते हैं तो आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यह शास्ति की राशि अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग निर्धारित की गई है। विवाह पंजीकरण का उद्देश्य जैसे कि  सभी लोग जानते हैं कि शादी के बाद कुछ महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे कि घरेलू हिंसा, बाल विवाह, पति की मृत्यु हो जाने पर पति के रिश्तेदारों द्वारा घर से निकाला जाना आदि। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है ताकि महिलाओं के साथ होने वाले इस दुर्व्यवहार को रोका जा सके। अब सभी धर्म के नागरिकों को यह पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। विवाह पंजीकरण के लाभ तथा विशेषताएं  1.विवाह प्र

Popular posts from this blog

सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

क्या विदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अग्रिम जमानत ले सकता है

Kanunigyan :- भरण पोषण का अधिकार :