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Showing posts from May 14, 2022

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

क्या उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420के अंतर्गत धोखाधड़ी का मामला खारिज किया जा सकता है

  भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के अंतर्गत धोखाधड़ी का मामला खारिज किया जा सकता है, यदि आरोपी के विरुद्ध बेईमानी का आरोप नहीं लगाया जाता है: उच्चतम न्यायालय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के अंतर्गत अपराध के लिए व्यक्ति के विरुद्ध मामला बनाने के लिए उस व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति को कोई संपत्ति देने के लिए धोखा और बेईमान का प्रलोभन दिया जाना चाहिए। इस मामले में शिकायतकर्ता ने कमलेश मूलचंद जैन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि उक्त कमलेश मूलचंद जैन ने अन्य बातों के साथ-साथ गलत कथन, प्रलोभन और धोखा देने के इरादे से दो किलो  27 ग्राम सोने के आभूषण ले लिए। इसके बाद भारतीय दंड संहिता  की धारा 420 के अंतर्गत अपराध के लिये प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई। जांच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपी की पत्नी रेखा जैन फरार है और मूल शिकायतकर्ता से उसके पति कमलेश मूलचंद जैन द्वारा छीने गए सोने के आभूषण उसके पास हैं। इसलिए उसके विरुद्ध भी जांच की गई। रेखा जैन ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के अंतर्गत अपराध के लिए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के ल

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