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Showing posts from October 17, 2022

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

बिना किसी इरादे के गुस्से में बोले गए शब्दों को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता

 बिना किसी इरादे के गुस्से में बोले गए शब्दों को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि, बिना किसी इरादे के गुस्से में बोले गए शब्दों को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता है। न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटिल की पीठ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 306, 506 के अंतर्गत  विपक्षी संख्या 2 द्वारा आवेदक के विरुद्ध दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के अंतर्गत दायर आवेदन पर विचार कर रही थी। इस मामले में, विपक्षी संख्या 2 – सुखबीर ने आवेदक से ऋण लिया था और 1,50,000 / – की राशि देय थी और वह पिछले दो वर्षों से इसे चुका रहा था, लेकिन अभी भी घटना की तारीख यानी 08.05.2021 तक 45,000/- की राशि बकाया थी। शिकायतकर्ता का कहना है कि आवेदक उसके घर गया और उसके पुत्र कृष्णा के सामने उसके साथ-साथ कृष्णा से भी कहा कि उन दोनों को 45,000/- रुपये की राशि वापस कर दे, अन्यथा वह उन्हें गाँव और यह भी कि वह उन्हें दुनिया में रहने नहीं देगा। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस धमकी से उसका पुत्र कृष

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