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Showing posts from August 12, 2018

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

Reservation under Constitution -आरक्षण सम्बन्धी संवैधानिक उपबन्ध -

              भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15-16, 330-331, 333 तथा 334 के  अधीन आरक्षण सम्बन्धी उपबंधों की विवेचना की गई है। जो निम्न प्रकार है --     अनुच्छेद 15 --धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म -स्थान के आधार पर विवेध का प्रतिषेध - (1) राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म -स्थान या इनमें से किसी आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।    (2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म -स्थान या इनमें से किसी भी आधार पर ---   (क) दुकानो, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश ,या   (ख) पूर्णतः या भागतः राज्य निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुऔं, तालाबों, स्नानघाटों, सडकों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग के समबन्ध में किसी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।   (3) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विषेश उपबन्ध करने से निवारित नहीं करेगी।   (4) इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 29 (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे हुए नागरिकों के

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