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Showing posts from January 12, 2022

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

क्या किसी महिला को कारागार में निरूद्ध पति से दाम्पत्य संबंध स्थापित करने का अधिकार है

 क्या कारागार में निरूद्ध व्यक्ति से दाम्पत्य संबंध बनाने का उसकी पत्नी को कानूनी अधिकार है। आओ इसके सम्बन्ध में जाने एक व्यक्ति गुरुग्राम के जिला कारागार में हत्या के अपराध में निरूद्ध है। उसकी पत्नी अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए पति से दाम्पत्य संबंध स्थापित चाहती है। इस संबंध में पत्नी ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की है। इस मामले पर उच्च न्यायालय की नियमित पीठ सुनवाई करेगी। पति से संबंधों के लिए महिला ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका।   एक महिला ने अपने पति से वैवाहिक संबंध बनाने  के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की  है। इस अर्जी में पत्नी ने अपने वंश वृद्धि के लिए कारागार में निरूद्ध पति से वैवाहिक संबंध स्थापित करने की मांग की है जिस पर उच्च न्यायालय की नियमित पीठ सुनवाई करेगी। अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस एचएस मदान की पीठ ने कहा कि इस मामले में नियमित पीठ ही सुनवाई करे। इसी के साथ पीठ ने मामले को नियमित पीठ द्वारा सुनवाई के लिए 27 जनवरी तक स्थगित कर दिया। इससे पूर्व सुनवाई पर इस मामले में  उच्च न्याय

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