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Showing posts from November 27, 2021

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

maintenance of children is the liability of father

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को तलाक देने की छूट दी,किंतु साथ ही कहा कि बच्चों के साथ तलाक नही हो सकता।सुप्रीम कोर्ट ने रत्न व आभूषण व्यापार से जुड़े मुंबई के रहने वाले इस व्यक्ति को 4 करोड़ रुपये की समझौता राशि जमा कराने के 6 सप्ताह का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही भारतीय संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मिली अपनी समग्र शक्तियों का प्रयोग करते हुए साल 2019 से अलग रह रहे दंपति के आपसी सहमति से तलाक पर मुहर लगा दी।इससे पूर्व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ से सुनवाई के दौरान पति के पक्षकार अधिवक्ता ने कोरोना महामारी से व्यापार में नुकसान का हवाला देकर समझौता राशि देने के लिए कुछ और वक्त मांगा है। लेकिन पीठ ने कहा,आपने स्वम समझौते में सहमति दी है कि तलाक की डिक्री वाले दिन आप 4 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे।अब यह वित्तीय बाधा का तर्क देना सही नही होगा।समझौता वर्ष 2019 में हुआ था और उस वक्त कोरोना महामारी नही थी।पीठ ने कहा आप पत्नी को तलाक दे सकते है।लेकिन बच्चों से तलाक नही ले सकते,क्योंकि आपने उन्हें जन्म दिया है।आपको उनकी द

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