Posts

Showing posts from October 4, 2023

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

 प्रयागराज न्यूज :  हिन्दू धर्म में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। विवाह के लिए कई रीति रिवाज नियत की गईं हैं। उनमें से  सात फेरे की रस्म एक महत्वपूर्ण हैं। माना जाता है कि इसके  अभाव में विवाह  वैध नहीं होता है। अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात को साफ कर दिया कि बिना सात फेरे अर्थात सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है। क्या कहा इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने  वाराणसी निवासी एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू विवाह में वैधता के लिए सप्तपदी अनिवार्य तत्व है। सभी रीति रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह समारोह को ही कानून की नज़र में वैध विवाह माना जा सकता है। यदि ऐसा नहीं है तो विधि की नज़र में ऐसा विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने वाराणसी निवासी स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए की है। न्यायालय ने 21 अप्रैल 2022 को याची के विरुद्ध जारी समन तथा वाद की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। उसके पति  ने बिना तलाक दिए दूसरा विवाह करने का आरोप लगाते हुए वाराणसी

Popular posts from this blog

सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

क्या विदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अग्रिम जमानत ले सकता है

Kanunigyan :- भरण पोषण का अधिकार :