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Showing posts from December 2, 2021

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

क्या लापरवाही के लिए लोकसेवकों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकती है। can be taken legal proceedings against public servent

       इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में अवैधानिक पदार्थ जब्त करने वाले अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। इन अधिकारियों ने एक व्यक्ति से तलाशी के दौरान कफ सिरप बरामद किया और उसे साइकोट्रोपिक पदार्थ के रूप में उसे जब्त कर लिया। बाद में उस व्यक्ति को जमानत दे दी।          न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने मामले में दर्ज एफआईआर के साथ-साथ मेडिकल रिपोर्ट देखते हुए कहा कि यह अधिकारी द्वारा की गई तलाशी और जब्ती शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग था।  मामले का संक्षिप्त विवरण           एक कार से 100 एमएल की 1540 बोतलें बरामद हुई। इनमें एक रैपर था। 536 खाली बोतलें और पैकेजिंग कैप युक्त दो प्लास्टिक बैग जब्त किए गए और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया।ये बॉटल जब्त की गई, क्योंकि जब्ती पक्षकार ने पाया कि जो दवाएं ले जाई जा रही थीं, वे नकली दवाएं थीं। जब्त की गई दवा के रैपर पर "क्लोरफेनिरामाइन मालेक और कोडीन फॉस्फेट सिरप (मैक्स कैफिन)" लिखा हुआ था। सामग्री को 'कोडीन फास्फेट' पाया गया और यह क्लोरफेनिरामाइन मालियेट के लिए की गई जांच में निगेटिव पाया गया ।   एफआईआर में

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