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Showing posts from November 23, 2021

जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

किशोर द्वारा किए गए अपराध में अभियुक्त की उम्र का निर्धारण कैसे करें। how determined the age of juvenile

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऋषिपाल सिंह सोलंकी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामले में किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत किशोर दावों के निर्धारण से संबंधित सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया। एक आपराधिक मामले में एक आरोपी की उम्र के निर्धारण को चुनौती देने की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने ये फैसला सुनाया उदाहरणों से लिए गए सिद्धांत और न्यायमूर्ति नागरत्ना द्वारा लिखे गए निर्णय में संक्षेप इस प्रकार हैं: (i) किशोर होने का दावा आपराधिक कार्यवाही के किसी भी स्तर पर किया जा सकता है, जिसमें मामले का निर्णय होने के बाद भी शामिल है।  किशोर होने का दावा दायर करने में देरी का उपयोग दावे को अस्वीकार करने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसे पहली बार सप्रीम कोर्ट के समक्ष भी उठाया जा सकता है।  (ii) किशोरावस्था के लिए एक आवेदन न्यायालय या जेजे बोर्ड के पास दायर किया जा सकता है।  (ii) जब किसी व्यक्ति को समिति या जेजे बोर्ड के समक्ष लाया जाता है, तो जेजे अधिनियम, 2015 की धारा 94 लागू होती है।  (ii) यदि किशोरता के लिए आवेदन न्यायालय के स

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