क्या बेटियों के विवाह पर होने वाले खर्च को देने के लिए पिता उत्तरदायी है
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने बेटियो के विवाह पर आने वाले खर्च को लेकर एक बड़ा निर्णय किया है. न्यायालय ने कहा है कि विवाह पर आने वाले सभी खर्च की जिम्मेदारी पिता की होगी.
बेटियों के विवाह को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बडा निर्णय पारित किया गया है। यह निर्णय बेटियो के विवाह पर आने वाले खर्च के संबंध में है। उच्च न्यायालय ने निर्णय में कहा है कि बालिग बेटी के भरण-पोषण और उसके विवाह पर आने वाले खर्च का दायित्व पिता का होगा और वे इस दायित्व से बच नहीं सकते।
‘कन्या दान’ एक हिंदू पिता का गंभीर और पवित्र दायित्व
बेटियों के विवाह के संबंध में न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने यह निर्णय दिया है। उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसकी बेटियों के विवाह के खर्च के मामले में सुनवाई के बाद आदेश देते हुए कहा कि ‘कन्या दान’ एक हिंदू पिता का गंभीर और पवित्र दायित्व है। न्यायालय ने व्यक्ति को उसकी बड़ी बेटी के विवाह के लिए 35 लाख और छोटी बेटी के विवाह के लिए 50 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।
पिता की तर्कों को न्यायालय ने खारिज किया
इस मामले में पिता द्वारा दलीलें दी गयी थीं कि उनकी बेटी बालिग हैं और स्वयं कमाती भी हैं। इस स्थिति में उनके विवाह के लिए खर्च देने की जिम्मेदारी पिता की नहीं है। उच्च न्यायालय ने पिता के तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया।
एक सप्ताह के अंदर रुपयों के भुगतान करने को कहा
न्यायालय ने तथ्यों का आंकलन करते हुए कहा कि इस मामले में पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी है। इसके उपरांत भी अविवाहित बेटियों के विवाह के खर्च से पीछे हटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और स्वीकार करने योग्य नहीं है। कानून के साथ साथ नौतिक रूप से भी माता-पिता को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार बच्चों का भरण-पोषण करने और उन्हें अन्य सुवीधाओं के खर्च के लिए रुपए देने चाहिए। न्यायालय ने पिता को दोनों बेटियों के विवाह के लिए एक सप्ताह में तय राशि देने का आदेश दिया।
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