Dishonour Of Cheque /चैक का अनादरण
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खाते में निधि की अपर्याप्तता आदि के कारण चैक का अनादरण (धारा 138):-
जहाँ किसी व्यक्ति ने किसी ऋण या दायित्व के निर्वाह के लिए बैंक के खाते का चैक दिया है और वह खाते में अपर्याप्त निधि या अन्य कारण से असंदत्त लौटा दिया है तो यह समझा जायेगा कि ऐसे व्यक्ति ने अपराध किया है और जिसे दो वर्ष तक के कारावास या चैक की रकम से दुगुनी तक जुर्माना या दोनों से दंडनीय होगा : परन्तु जब यदि :-
(1)चैक लिखने की तारीख से तीन महीने के अन्दर चैक बैंक में प्रस्तुत न कर दी गई हो।
(2) चैक के धारक या पाने वाले ने असंदत्त चैक के वापसी की सूचना की प्राप्ति के बाद तीस दिन के भीतर लेखीवाल को लिखित नोटिस द्वारा धन की मांग न की हो।
(3) ऐसी चैक का लेखीवाल नोटिस प्राप्त करने के बाद 15 दिन के भीतर धनराशि का सन्दाय करने में असफल नही रहा हो।
धारा 139:- यदि विपरीत साबित न हो तो यह समझा जायेगा कि चैक ऋण के संदाय के लिए गया था।
धारा 140:- ऐसे अपराध में यह प्रतिरक्षा नहीं होगी कि चैक जारी करते समय वह यह नहीं जानता था कि चैक अनाद्रत हो जाएगा।
धारा 141:- कम्पनियों द्वारा अपराध ।
धारा 142:- जब मांग की नोटिस की अवधि समाप्त होने पर धारक एक महीने के अन्दर लिखित शिकायत द्वारा वाद दायर कर सकता है, जो ऐसे प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में दायर किया जायेगा जिसकी अधिकारिता के भीतर धारक का बैंक है या लेखीवाल का बैंक है।
लेकिन न्यायालय उचित कारण से एक महिना की अवधि को बढा सकेगा। उक्त अपराध शमनीय होगा। धारा 143 ।
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