पारस्परिक सहमति से विवाह विच्छेद / Divorce By Mutual Consent
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हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 ख आपसी सहमति से विवाह विच्छेद का उपबन्ध करती है। इसके अन्तर्गत विवाह के दोनों पक्षकार मिलकर जिला न्यायाधीश के न्यायालय में विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा विवाह के विघटन के लिए इस आधार पर याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं कि ---
(1) पक्षकार एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और वे एक साथ नहीं रह सके हैं, एवं
(2) वे इस बात के लिए परस्पर सहमत हो गए हैं कि विवाह का विघटन कर दिया जाना चाहिए। तो न्यायालय विवाह विच्छेद की डिक्री पारित कर देगा और विवाह डिक्री की तारीख से विघटित हो जाएगा, यदि ---
(क) यचिका प्रस्तुत किये जाने के छः माह बाद एवं 18 माह पूर्व दोनों पक्षकारों द्वारा किये गये प्रस्ताव पर, यदि इस बीच याचिका वापस न ली गई है,और
(ख) न्यायालय को पक्षकारों को सुनने के बाद और जाँच करने के बाद यह समाधान हो गया हो गया हो कि याचिका में वर्णित कथन सही है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने हाल के निर्णयों में छह माह की आवश्यक शर्त को भी लागू करने से इनकार कर दिया है। और कहा है कि यदि मामला इस तरह का है कि छह माह की शर्त से अनावश्यक देरी होगी तो वह आवश्यक नहीं है।
धारा 14 के अनुसार विवाह विच्छेद की याचिका विवाह संपन्न होने की तारीख से एक वर्ष के अंदर प्रस्तुत नहीं की जाएगी। लेकिन यदि मामला याची के लिए असाधारण कष्ट का है या प्रत्युत्तरदाता की असाधारण दुराचारिता से सम्बन्धित है तो न्यायालय एक वर्ष से पहले विवाह विच्छेद की याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।
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