FIR लिखवाने के तरीके
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जब एक व्यक्ति के विरुद्ध किसी अन्य व्यक्ति ने कोई अपराध किया है तो पीडित व्यक्ति को अधिकार है कि वह अपराधी के विरूद्ध सम्बन्धित थाने में लिखित रुप में या मौखिक रुप में शिकायत कर सकता है जिसे थाने का प्रभारी अधिकारी पंजीकृत करेगा या अपने अधीनस्थ अधिकारी से पंजीकृत करायेगा।
यदि अपराध किसी महिला के विरुद्ध किया गया है और वह बलात्कार या छेडछाड से सम्बन्धित है तो वह किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा पंजीकृत किया जायेगा।
जब शिकायत लिखित रुप में पंजीकृत की जाती है तो उसकी एक प्रति शिकायतकर्ता को निशुल्क प्रदान की जायेगी ।
यदि थाने का प्रभारी अधिकारी FIR पंजीकृत करने से इनकार करता है तो पीडित व्यक्ति को अधिकार है कि वह अपराधी के विरूद्ध सम्बन्धित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पंजीकृत डाक द्वारा सूचना भेजे। और यदि उसके पास विश्वास करने का कारण है तो वह या तो उस अपराध का अन्वेषण स्वयं करेगा या फिर अपने किसी अधीनस्थ अधिकारी को अन्वेषण करने का आदेश दे सकता है।
यदि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी कोई कार्यवाही नहीं करता है तो पीडित क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद संस्थित कर सकता है। यदि अन्वेषण अधिकारी द्वारा मामले में अन्तिम आख्या न्यायालय में प्रस्तुत कर दी जाती है और न्यायालय उससे सन्तुष्ट नहीं है तो वह उसमे पुनः अन्वेषण का आदेश दे सकता है या स्वयं उस पर संग्यान ले सकेगा। या फिर उस अन्तिम आख्या को स्वीकार कर सकता है।
यदि न्यायालय अन्तिम आख्या को स्वीकार कर लेता है तो पीडित व्यक्ति को अधिकार है कि वह उसके विरुद्ध जिला न्यायाधीश के न्यायालय में पुनरीक्षण कर सकता है या उच्च न्यायलय में कर सकता है।
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