जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

हिन्दू कौन है /Who is Hindu

                   हिन्दू का अर्थ :-
      
         प्रारम्भ में हिन्दू शब्द का प्रयोग भारत देश के निवासियों के लिए किया जाता था। शब्द हिन्दुस्तान इसी बात का द्योतक है। यह शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया है। इसकी उत्पत्ति सिन्धू शब्द से हुई है। विदेशी आक्रान्ता जो प्रारम्भ में पंजाब तक आये थे, ने ही यहाँ के निवासियों और इस देश का नाम रखा था। फारस लोग 'स' को 'ह' कहते थे। इसलिए वे सिन्धू के पूरब में रहने वाले लोगों को हिन्दू और सिन्धू के पूरब के भू-भाग को हिन्दुस्तान कहने लगे। धीरे -धीरे भारतवर्ष को हिन्दुस्तान और देश के सभी वासियों को हिन्दू कहने लगे। मुस्लिम हुकूमत के दौरान सिक्ख, जैन, बौद्ध अन्य जातियों आदि को भी हिन्दू मान लिया गया।
      
       अब हिन्दू कौन है :-

      अब निम्न दो प्रकार के लोगों को हिन्दू माना जाता है -

   (1) जन्म से हिन्दू :-
                    निम्नलिखित व्यक्ति जन्म से हिन्दू माने जाते हैं -  
    (क)  हिन्दू माँ -बाप की औलाद --- ऐसी औलादें जिनके माँ -बाप दोनों ही हिन्दू हों, हिन्दू मानी जाती हैं। भले ही ऐसी औलादें धर्मज हों या अधर्मज।

     (ख) जिनका पालन -पौषण हिन्दू रीति से हुआ हो ---- ऐसी औलादें भी हिन्दू मानी जाती हैं जिनके माँ अथवा पिता में से कोई एक हिन्दू हो और उसका पालन -पौषण हिन्दू रीति से हुआ हो।
      जन्म से हिन्दूओं में चार वर्ग के लोग माने जाते हैं --- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र।

     (2)  धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू :---
             वे व्यक्ति भी हिन्दू माने जाते हैं जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है या जो पहले हिन्दू थे और परन्तु बाद में किसी दूसरे धर्म में चले गए थे लेकिन अब फिर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है।

     धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू बनने पर भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा कुछ महत्वपूर्ण निर्णय दिये गए हैं जो निम्न हैं -----
    
       पैरूमल   बनाम पुन्नुस्वामी  ,ए आई आर 1971 सु को के वाद में पैरूमल जो हिन्दू था, अन्नापाजम नामक ईसाई महिला से हिन्दू रीति रिवाज से विवाह किया। विवाह के समय दोनों मे एक करार हुआ था सम्पत्ति के संबन्ध में विवाद होने पर विवाद का निपटारा मिताक्षरा विधि द्वारा होगा। विवाह के बाद पुन्नुस्वामी नाम का लडका पैदा हुआ परन्तु पति पत्नी के संबन्ध खराब हो गए। पुत्र पुन्नुस्वामी ने पिता पैरूमल की संयुक्त सम्पति में बटवारे के लिए वाद किया। पैरूमल का तर्क था कि चूंकि उसका विवाह शून्य था क्योंकि अन्नापाजम ईसाई थी। इसलिए पुन्नुस्वामी अवैध पुत्र था और मिताक्षरा विधि में अवैध पुत्र का पिता की सम्मति में कोई हक नहीं होता।

         उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि दोनों के बीच सम्पन्न विवाह वैध था क्योंकि विवाह हिन्दू रीति रिवाज से सम्पन्न हुआ था। इसके अलावा विवाह के बाद उसने ईसाई धर्म छोड़ दिया था। इसलिए यह माना जाएगा कि विवाह के पूर्व वह हिंदू बन गई थी। न्यायालय ने आगे अभिनिर्धारण किया कि जब किसी व्यक्ति ने या तो हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया हो या आचरण में उतार लिया हो तो वह व्यक्ति हिन्दू होगा बशर्ते उसे हिन्दू के रूप में स्वीकार कर लिया हो। इसके लिए किसी शुद्धि अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

सप्तपदी के अभाव में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

क्या विदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अग्रिम जमानत ले सकता है

Kanunigyan :- भरण पोषण का अधिकार :