जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार, जहां असंज्ञेय अपराध शामिल हैं, मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान नहीं ले सकते, इसके बजाय इसे शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सैयद आफताफ हुसैन रिजवी ने विमल दुबे और एक अन्य द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482  के अंतर्गत दायर याचिका को स्वीकार कर ये निर्णय दिया। आवेदकों के अधिवक्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 504 के अंतर्गत एक एनसीआर पंजीकृत किया गया था और उसके बाद जांच की गई और आवेदकों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।  यह तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने पुलिस रिपोर्ट को देखे बिना और कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया, क्योंकि धारा 2 (डी) सीआरपीसी के अनुसार, यदि जांच के बाद पुलिस रिपोर्ट में असंज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो यह शिकायत के रूप में माना जाना चाहिए और जांच अधिकारी/पुलिस अधिकारी को शिकायतकर्ता माना जाएगा और शिकायत मामले की प्रक्रिया का पालन किया जाना है। धारा 2(डी) सीआरपीसी के प्रावध

क्या उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही होने पर सम्पत्ति जब्त होना निश्चित है

 २७दिसम्बर,२०२१ के बाद अब यह निश्चित हो गया है कि यदि किसी व्यक्ति पर उतर प्रदेश गिरोह अधिनियम के अंतर्गत आरोप लगा तो उसकी संपत्ति जब्त होना निश्चित है क्योंकि इस तारीख से नई नियमावली लागू होने के बाद डीएम के अधिकार बढ़ा दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेशगैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत होने वाली सभी कार्यवाही अब गैंगस्टर अधिनियम नियमावली से की जाएगी। इसके पूर्व संपत्ति जब्त करना एक विकल्प के रूप में था और भिन्न भिन्न मामलों में भिन्न भिन्न निर्णय लिया जा सकता  था।

गिरोह बन्दी अधिनियम की कार्यवाही होने पर अब अन‍िवार्य रूप से संपत्‍त‍ि जब्‍त होगी। 


उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही होने पर आरोपित की संपत्ति अनिवार्य रूप से उद्घघृत कर ली जाएगी। उत्तर  प्रदेश राज्य में पहली बार लागू हुई गैंगस्टर नियमावली-2021 में इसका उपबंध किया गया है। गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत होने वाली सभी कार्यवाहियां अब गैंगस्टर अधिनियम नियमावली से की जाएगी। पहले संपत्ति जब्त करना वैकल्पिक था और अलग-अलग मामलों के अनुसार निर्णय लिया जा सकता था।  गोरखपुर के पुलिस लाइन में हुई कार्यशाला में वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी बीडी मिश्रा ने सभी थानाध्यक्षों को इसके प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दी। नियमावली में कई महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए जिलाधिकारी के अधिकार बढ़ाए गए हैं।

आरोप पत्र दाखिल करते समय संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट देनी होगी

विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार की रात थानाध्यक्षों की बैठक हुई, जिसमें नई नियमावली की जानकारी दी गई। गैंगस्टर अधिनियम के मामले में विवेचना अधिकारी को विवेचना के दौरान या आरोप पत्र दाखिल करते समय संपत्ति जब्ती की रिपोर्ट देनी होगी। ऐसा न होने पर जिलाधिकारी अनिवार्य रूप से एसएसपी से इसका कारण पूछेंगे। जिलाधिकारी जब्ती की रिपोर्ट आने पर स्वयं संपत्तियों की जांच कर सकते हैं या किसी विधि अधिकारी से जांच करा सकते हैं। संपत्ति के वैध या अवैध होने की जांच राजपत्रित अधिकारी से करानी होगी।

सामूहिक दुष्कर्म, हत्या जैसे अपराध में तुरंत लग सकेगा गैंगस्टर अधिनियम

धारा-376 डी के अंतर्गत सामूहिक दुष्कर्म, 302 के अंतर्गत हत्या, 395 के अंतर्गत लूट, 396 के अंतर्गत डकैती व धारा-397 के अंतर्गत हत्या कर लूट जैसे अपराधों में तुरंत गैंगस्टर अधिनियम लगाया जा सकेगा। पुरानी व्यवस्था में गंभीर अपराध होने पर भी गैंगस्टर की कार्यवाही करने के लिए एक से अधिक मुकदमे का होना आवश्यक था। गंभीर अपराधों में किसी नाबालिग की संलिप्तता होने पर जिलाधिकारी की अनुमति लेकर ही गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती थी। इसलिए पुरानी व्यवस्था में नाबालिग इस कार्यवाही से बच जाता था। अब गैंग चार्ट में भी नाम होना आवश्यक नहीं है, विवेचना में भी नाम की बढ़ोतरी हो सकती है। 

पुरानी व्यवस्था में गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत  कार्यवाही उसी व्यक्ति के विरुद्ध की जा सकती थी, जिसका नाम गैंग चार्ट में दर्ज होता था। विवेचना के दौरान नया नाम नहीं बढ़ाया जा सकता था। नई नियमावली के अनुसार अपराध में संलिप्तता होने या अपराधी का सहयोग करने का साक्ष्य मिलने पर जिलाधिकारी से अनुमति लेकर ऐसे व्यक्ति का नाम मुकदमे में बढ़ाया जा सकता है। नई नियमावली में गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत निरुद्ध व्यक्ति पर दर्ज अन्य मामले, जैसे शांतिभंग में पाबंदी, गुंडा एक्ट या राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही के विवरण भी गैंग चार्ट में दर्ज किए जाएंगे। गैंगस्टर एक्ट के मामले में जिलाधिकारी हर तीन महीने पर, मंडलायुक्त छह और अपर मुख्य सचिव गृह प्रति वर्ष इसकी समीक्षा करेंगे।

गलत कार्यवाही वापस की जा सकेगी

गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत हुई गलत कार्यवाही को अब वापस भी लिया जा सकेगा। विवेचना के अंतर्गत किसी व्यक्ति के विरुद्ध साक्ष्य न पाए जाने पर जिलाधिकारी उसको निरस्त कर सकेंगे। आरोप पत्र दाखिल करने से पहले राज्य सरकार द्वारा संस्तुति करनी होगी।

गैंग चार्ट के तथ्यों के लिए थाना प्रभारी जिम्मेदार होंगे

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी के अनुसार गैंगस्टर की नियमावली अपराधों पर अंकुश लगाने में काफी प्रभावी साबित होगी। इसमें कई नए प्रविधान किए गए हैं। गैंग चार्ट में जिस विषयवस्तु का उल्लेख किया जाएगा, उसके सही होने की पूरी जिम्मेदारी संबंधित थाना प्रभारी की होगी।

गैंगस्टर एक्ट की नई नियमावली लागू होने के बाद स्थानीय स्तर पर आदेश जारी कर दिया गया है। इससे अपराधियों में भय व्याप्त होगा और अपराध करने से घबराएंगे। नियमावली को कड़ाई से लागू कराया जाएगा।

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